सपनों का सौदागर
रात में एक चोर घर में घुसा..। कमरे का दरवाजा खोला तो बरामदे पर एक बूढ़ी औरत
सो रही थी..।
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खटपट से उसकी आंख खुल गई..। चोर ने घबरा कर देखा
तो वह लेटे लेटे बोली,
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"बेटा, तुम देखने से किसी अच्छे घर के लगते हो, लगता है किसी परेशानी से मजबूर होकर इस
रास्ते पर लग गए हो..।
चलो कोई बात नहीं..। अलमारी के तीसरे बक्से में एक
तिजोरी है..।
इसमें का सारा माल तुम चुपचाप ले जाना..।
मगर पहले मेरे पास आकर बैठो..।
मैंने अभी-अभी एक ख्वाब देखा है..।
वह सुनकर जरा मुझे इसका मतलब तो बता दो..।"
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चोर उस बूढ़ी औरत की रहमदिली से बड़ा अभिभूत हुआ और
चुपचाप उसके पास जाकर बैठ गया..।
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बुढ़िया ने अपना सपना सुनाना शुरु किया,
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"बेटा, मैंने देखा कि मैं एक रेगिस्तान में खो गइ हूँ..।
ऐसे में एक चील मेरे पास आई
और उसने 3 बार जोर जोर से बोला,
अभिलाष..! अभिलाष..! अभिलाष..!!
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बस फिर ख्वाब खत्म हो गया और मेरी आंख खुल गई..।
जरा बताओ तो इसका क्या मतलब हुआ..?"
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चोर सोच में पड़ गया..। इतने में बराबर वाले कमरे से
बुढ़िया का नौजवान बेटा अभिलाष अपना नाम
ज़ोर ज़ोर से सुनकर उठ गया और अंदर आकर चोर की
जमकर धुनाई कर दी..।
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बुढ़िया बोली, "बस करो, अब यह अपने किए की सजा भुगत चुका..।"
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चोर बोला, "नहीं-नहीं..! मुझे और कूटो
सालों..!
ताकि मुझे आगे याद रहे कि
मैं चोर हूँ, सपनों का सौदागर नहीं...।"
Moral - 'Be Professional in your work..'